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उत्तरकाशी बादल फटने की ताजा खबर: भारी तबाही, 5 की मौत, 50 से अधिक लापता |
उत्तरकाशी बादल फटने की ताजा खबर: भारी तबाही, 5 की मौत, 50 से अधिक लापता
उत्तरकाशी, 6 अगस्त 2025: उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में मंगलवार, 5 अगस्त 2025 को धराली गांव के पास खीर गंगा नदी में बादल फटने से भयावह बाढ़ ने पूरे क्षेत्र को मलबे के ढेर में बदल दिया। इस आपदा में अब तक 5 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, जबकि 50 से अधिक लोग लापता हैं, जिनमें भारतीय सेना के 8-10 जवान भी शामिल हैं। भारतीय सेना, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, और स्थानीय प्रशासन युद्ध स्तर पर राहत और बचाव कार्य में जुटे हैं।
क्या हुआ? उत्तरकाशी बादल फटने की पूरी जानकारी
5 अगस्त 2025 को दोपहर करीब 1:30 बजे धराली गांव के पास बादल फटने की घटना ने भारी तबाही मचाई। महज 34 सेकंड में खीर गंगा नाले में आई बाढ़ ने 20-25 होटल, होम स्टे, और कई घरों को बहा दिया। सड़कें और पुल पूरी तरह नष्ट हो गए, जिससे क्षेत्र उत्तर और दक्षिण दोनों तरफ से कटा हुआ है। मौसम विभाग ने अगले कुछ दिनों तक भारी बारिश का ऑरेंज अलर्ट जारी किया है, जिसमें नैनीताल, चंपावत, और देहरादून जैसे जिले शामिल हैं।
प्रभावित क्षेत्र और नुकसान
मृत्यु और लापता: अब तक 5 लोगों की मौत की पुष्टि, 50-60 लोग लापता, जिनमें हर्षिल के सैन्य शिविर के जवान शामिल।
बुनियादी ढांचा: उत्तरकाशी-हर्षिल मार्ग और गंगनानी से हर्षिल का रास्ता पूरी तरह बंद। एक हेलीपैड भी बह गया।
स्थानीय प्रभाव: धराली गांव में 200 से अधिक स्थानीय और पर्यटक मौजूद थे, जिनमें से कई अब भी फंसे हुए हैं।
राहत और बचाव कार्य: सेना और एनडीआरएफ की भूमिका
भारतीय सेना ने 225 से अधिक सैन्यकर्मियों को तैनात किया है, जिनमें पैदल सेना और इंजीनियरिंग टीमें शामिल हैं। हेलिकॉप्टर तैनात किए गए हैं, लेकिन भारी बारिश और कीचड़ के कारण बचाव कार्य में बाधा आ रही है। एनडीआरएफ के मोहसिन शहीदी ने बताया कि 100 से अधिक लोग अभी भी लापता हैं। एम्स ऋषिकेश में घायलों के लिए विशेष ट्रॉमा सेंटर तैयार किया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने धराली गांव का दौरा किया और रात में उत्तरकाशी में रुककर राहत कार्यों की निगरानी की।
मुख्यमंत्री का बयान: “हम सब मिलकर इस आपदा से उबरेंगे। प्रशासन और सेना पूरी ताकत से राहत कार्य में जुटी है।” - पुष्कर सिंह धामी
क्या यह प्राकृतिक आपदा है या मानव निर्मित?
विशेषज्ञों का कहना है कि उत्तराखंड में बारिश का औसत स्तर कम हो रहा है, लेकिन अत्यधिक मौसमी घटनाएं (जैसे बादल फटना) बढ़ रही हैं। पर्यावरणविद् विमलेंदु झा ने इसे हिमालय के अति-दोहन का परिणाम बताया, जैसे अनियंत्रित निर्माण और पर्यटन। भूवैज्ञानिक प्रो. वाई.पी. सुंदरियाल ने कहा, “अत्यधिक मौसमी घटनाएं जलवायु परिवर्तन का संकेत हैं।” यह सवाल उठता है कि क्या यह आपदा केवल प्रकृति की मार है या मानव गतिविधियों का परिणाम?
उत्तराखंड बादल फटने से बचाव के उपाय
यदि आप उत्तरकाशी या आसपास के क्षेत्रों में हैं, तो निम्नलिखित सावधानियां बरतें
मौसम अलर्ट का पालन करें: मौसम विभाग के ऑरेंज अलर्ट को गंभीरता से लें। भारी बारिश की चेतावनी वाले क्षेत्रों से बचें।
सुरक्षित स्थान पर रहें: नदी किनारों या निचले क्षेत्रों से दूर रहें। ऊंचे स्थानों पर शरण लें।
आपातकालीन किट तैयार करें: पानी, भोजन, दवाइयां, और टॉर्च जैसी जरूरी चीजें अपने पास रखें।
प्रशासन से संपर्क: स्थानीय प्रशासन या एनडीआरएफ के हेल्पलाइन नंबर (011-24363260) पर संपर्क करें।
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